जाने नियम और किस पूजा किया जाता है
बिहार का सर्वश्रेष्ठ: पूजा में अगर किसी पूजा का महत्व मिला है उसको छठ पूजा बोलते हैं आपको बता दें कि छठ पूजा एक ऐसा पवित्र पूजा है जिसमें लोग काफी तन मन धन से इस पूजा में समर्पित होते हैं इस पूजा का खासियत यह है कि सूर्य देव और छठी मैया की दोनों की महानता दी गई है. इस पूजा में सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया जाता है।
छठ पूजा कार्तिक : में यानी आपको बता दूं 28 अक्टूबर 2022 से ही इस पूजा का आरंभ हो गया है इसमें लोग बहुत ही शुद्ध तरीके से ठेकुआ और अन्य सामाग्री बनता है। छठ पर्व कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाया जाता है छठ पूजा में नाक से मांग तक सिंदूर लगाने का भी विधान है आइए हम जानते हैं कि छठ पूजा में सिंदूर का महत्व क्यों दिया गया है।
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आखिर क्यों जरुरी होता है नाक तक सिंदूर : आपको बता दूं छठ पूजा तपस्या का पूजा है इसमें तीन दिन तक उपासना करना पड़ता है और काफी साफ सफाई के साथ इस पूजा को किया जाता है इस पूजा में महिलाएं अपने संतान और सुहाग की कामना हेतु निर्जला व्रत रखती हैं
इस पूजा को महिलाओं समेत पुरुष भी इस पूजा को करते हैं तीन दिनों तक निर्जला रहकर यह व्रत पूरा किया जाता । इस पर्व में कोसी भरने का भी रिवाज है जिसमें ईंख और गमछे में नारियल और अन्य सामग्री प्रसाद जो ठेकुआ और सेव फल केला समेत कई फल के साथ कोशी भरा जाता है।
आखिर क्यों जरुरी होता है नाक तक सिंदूर
इस पूजा का प्रचलन पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में था। जिस औरत को संतान नहीं होता है वह औरत इस छठ व्रत में मन्नत मांगती हैं की हे माता अगर मुझे संतान होगा तो हम यह व्रत करेंगे और काफी तपस्या के साथ करेंगे उन औरतों का अगर मनोकामना पूरा होता है तो
वह लोग छठ पूजा करते हैं अलग अलग तरीके से लोग छठ पूजा में अपना मनोकामना मांगते हैं और पूरा होने पर लोग कठोर तपस्या के साथ इस पर्व को करते हैं पति की लंबी उम्र के लिए भी औरतें इस पूजा को करती हैं और नाक से लेकर मांग तक सिंदूर लगाती है
ताकि पति दीर्घायु हो। इस पूजा को आते ही एक अलग सा माहौल क्रिएट हो जाता है बाहर में रहने वाले लोग जो कि घर आने के लिए इच्छुक हो जाते हैं क्योंकि यह महापर्व एक काफी ही आस्था के साथ बिहार के साथ जुड़ा हुआ पर्व है जो हर एक बिहारी जहां भी रहते हैं और छठ पर्व का गीत सुन जाए तो वह अपने घर आना चाहते हैं
चाहे वह नौकरी क्यों ना छोड़ना पड़े यह छठ पूजा अब तो हर एक शहर में छठ पूजा मनाया जा रहा है और पूरे हिंदुस्तान में इस पर्व का परंपरा शुरू हो चुका है क्योंकि काफी ही प्रचलित छठ पूजा जो बिहार में मनाया जाता हैं अब बिहार के साथ-साथ हिंदुस्तान के कोने कोने में मनाया जा रहा है।
धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से छठ पूजा को आस्था का पूजा माना जाता है । इस पूजा में लोग अपने घर परिवार संतान और अपने पति की दीर्घायु के लिए यह पूजा को करते हैं।
28 अक्टूबर 2023 से लेकर 31 अक्टूबर तक यह पूजा चलेगा। आज खरना पूजन का दिन जो कि आज लोग इस पूजा को स्टार्ट करते हैं। कल लोग घाटे जाते हैं जहां पर छठी मैया का मूर्ति बना होता है वहां पर लोग जाकर पूजा पाठ करते हैं
और फिर सुबह होने पर सूर्य भगवान को और देखकर इस पूजा का समापन होता है और 31 तारीख को ही पारण कर कर इस पूजा का समर्पण किया जाता है
सूर्य देवता का यह पूजा माना गया है क्योंकि डूबते हुए सूरज को भी इसमें पूजा जाता है और उगते हुए सूरज को भी अर्घ्य पूजा कर विराम दिया जाता है साल में कार्तिक महीना में आने वाला महापर्व जो कि छठ पूजा काफी धूमधाम से मनाया जाता है।
बिहार के छठ पूजा महापर्व आखिर पूरे हिंदुस्तान में क्यों मनाया जा रहा है ? जाने नियम और कैसे पूजा किया जाता है ?
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